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��क्ज़मबर्ग (लक्सेम्बर्गी : Groussherzogtum Lëtzebuerg, फ़्राँसिसी : Grand-Duché de Luxembourg, जर्मन : Großherzogtum Luxemburg) यूरोप महाद्वीप में स्थित एक देश है। इसकी राजधानी लक्ज़मबर्ग नगर है। इसकी मुख्य राजभाषाएँ- जर्मन, फ़्राँसिसी और लक्सेम्बर्गी भाषा हैं। इसके शासक एक राजा-समान ग्रैंड ड्यूक हैं। लक्जमबर्ग पश्चिम यूरोप का एक छोटा सा देश है। यह बेल्जियम, फ्रांस और जर्मनी से घिरा हुआ है। लक्जमबर्ग का क्षेत्रफल 2586 वर्ग किलोमीटर है, जबकि जनसंख्या पाँच लाख के करीब है। लक्जमबर्ग में संसदीय लोकतांत्रिक व्यवस्था है, जबकि संवैधानिक रूप से राजा सर्वोच्च होता है। लक्जमबर्ग एक विकसित देश है, जहाँ प्रतिव्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद यानी जी॰डी॰पी॰ सबसे ज्यादा है। लक्जमबर्ग यूरोपीय संघ, नाटो, संयुक्त राष्ट्र संघ, यूरोपीय संघ और ओईसीडी का संस्थापक सदस्य है, जो देश में आर्थिक, राजनीतिक और सैन्य एकीकरण पर सर्वसम्मति को दर्शाता है। सांस्कृति रूप से लक्जमबर्ग ने रोमन यूरोप और जर्मन यूरोप की सांस्कृतिक विशेषताओं को अपनाया है। यहाँ जर्मन, फ्रेंच और लक्ज़मबर्गी भाषाएं बोली जाती हैं और ये तीनों ही इसकी आधिकारिक भाषाएं हैं। धर्मनिरपेक्ष होने के बावजूद, लक्ज़मबर्ग रोमन कैथोलिक के प्रभाव वाला देश है।

स्रोत: Wikipedia

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��ह लेख वाराणसी (बनारस) शहर के लिये है। काशी हेतु देखें काशी वाराणसी (अंग्रेज़ी: Vārāṇasī, हिन्दुस्तानी उच्चारण: [ʋaːˈɾaːɳəsiː] ( सुनें)) भारत के उत्तर प्रदेश राज्य का एक प्रसिद्ध नगर है। इसे 'बनारस' और 'काशी' भी कहते हैं। इसे हिन्दू धर्म में एक पवित्र नगर माना गया है और इसे अविमुक्त क्षेत्र कहा जाता है। इसके अलावा बौद्ध एवं जैन धर्म में भी यह एक महत्वपूर्ण शहर है। यह संसार के प्राचीन बसे शहरों में से एक है।काशी नरेश (काशी के महाराजा) वाराणसी शहर के मुख्य सांस्कृतिक संरक्षक एवं सभी धार्मिक क्रिया-कलापों के अभिन्न अंग हैं। वाराणसी की संस्कृति का गंगा नदी एवं इसके धार्मिक महत्त्व से अटूट रिश्ता है। ये शहर सहस्रों वर्षों से भारत का, विशेषकर उत्तर भारत का सांस्कृतिक एवं धार्मिक केन्द्र रहा है। हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत का बनारस घराना वाराणसी में ही जन्मा एवं विकसित हुआ है। भारत के कई दार्शनिक, कवि, लेखक, संगीतज्ञ वाराणसी में रहे हैं, जिनमें कबीर, वल्लभाचार्य, रविदास, स्वामी रामानंद, त्रैलंग स्वामी, शिवानन्द गोस्वामी, मुंशी प्रेमचंद, जयशंकर प्रसाद, आचार्य रामचंद्र शुक्ल, पंडित रवि शंकर, गिरिजा देवी, पंडित हरि प्रसाद चौरसिया एवं उस्ताद बिस्मिल्लाह खां आदि कुछ हैं। गोस्वामी तुलसीदास ने हिन्दू धर्म का परम-पूज्य ग्रंथ रामचरितमानस यहीं लिखा था और गौतम बुद्ध ने अपना प्रथम प्रवचन यहीं निकट ही सारनाथ में दिया था।वाराणसी में चार बड़े विश्वविद्यालय स्थित हैं: बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय, महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ, सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ हाइयर टिबेटियन स्टडीज़ और संपूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय। यहां के निवासी मुख्यतः काशिका भोजपुरी बोलते हैं, जो हिन्दी की ही एक बोली है। वाराणसी को प्रायः 'मंदिरों का शहर', 'भारत की धार्मिक राजधानी', 'भगवान शिव की नगरी', 'दीपों का शहर', 'ज्ञान नगरी' आदि विशेषणों से संबोधित किया जाता है।प्रसिद्ध अमरीकी लेखक मार्क ट्वेन लिखते हैं: "बनारस इतिहास से भी पुरातन है, परंपराओं से पुराना है, किंवदंतियों (लीजेन्ड्स) से भी प्राचीन है और जब इन सबको एकत्र कर दें, तो उस संग्रह से भी दोगुना प्राचीन है।"

स्रोत: Wikipedia

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