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दोहा अर्द्धसम मात्रिक छंद है। यह दो पंक्ति का होता है इसमें चार चरण माने जाते हैं | इसके विषम चरणों (प्रथम तथा तृतीय) में १३-१३ मात्राएँ और सम चरणों (द्वितीय तथा चतुर्थ) में ११-११ मात्राएँ होती हैं। विषम चरणों के आदि में प्राय: जगण (।ऽ।) टालते है, लेकिन इस की आवश्यकता नहीं है। 'बड़ा हुआ तो' पंक्ति का आरम्भ ज-गण से ही होता है। सम चरणों के अंत में एक गुरु और एक लघु मात्रा का होना आवश्यक होता है अर्थात अन्त में लघु होता है। उदाहरण- बड़ा हुआ तो क्या हुआ, जैसे पेड़ खजूर। पंथी को छाया नहीं, फल लागैं अति दूर।। मुरली वाले मोहना, मुरली नेक बजाय। तेरी मुरली मन हरे, घर अँगना न सुहाय॥हेमचन्द्र के मतानुसार दोहा-छन्द के लक्षण हैं - समे द्वादश ओजे चतुर्दश दोहक: समपाद के अन्तिम स्थान पर स्थित लघु वर्ण को हेमचन्द्र गुरु-वर्ण का मापन देता है.



'अत्र समपादान्ते गुरुद्वयमित्याम्नाय:' यह सूत्र विषद किया है। मम तावन्मतमेतदिह - किमपि यदस्ति तदस्तु रमणीभ्यो रमणीयतरमन्यत् किमपि न अस्तु

स्रोत: Wikipedia

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उपसाला स्वीडेन का एक शहर है जो उप्साला लैन नामक प्रदेश की राजधानी भी है। उपसाला नगर मालर झील की जल-यातायात-योग्य एक शाखा के तट पर, जिसका नाम फैरिस नदी है, स्टॉकहोम नगर से 41 मील उत्तर की ओर स्थित है। इस नगर का फैरिस नदी तथा मालर झील की जलप्रणाली द्वारा स्टॉकहोम से सीधा संबंध है। आधुनिक नग उस प्राचीन उपसाला से संबद्ध है जो आधुनिक नगर से प्राय: दो मील उत्तर की ओर बसा हुआ था। नगर का यह प्राचीन भाग नदी के पश्चिमी किनारे की ढाल पर स्थित है। इस उपसाला नगर का वर्णन नवीं शताब्दी के लेखों में मिलता है; उस समय के लोगों के स्वर्णजटित मंदिर के लिए यह विख्यात था। यहाँ स्वीडेन के गिरजाघरों के एकमात्र प्रधान धर्माचार्य का निवास स्थान है। सन्‌ 1702 ई.



में विनाशकारी अग्नि द्वारा नगर के अधिकांश भाग नष्ट हो गए थे। उपसाला प्रदेश का क्षेत्रफल 5,252 वर्ग कि॰मी॰ है। यह स्वीडेन के मध्य-पूर्व में स्टॉकहोम से दक्षिण में सटा हुआ है। इसकी तटीय सीमा बाल्टिक सागर तथा बोथीनिया की खाड़ी द्वारा प्रक्षालित होती रहती है। यह प्रदेश खनिज पदार्थों की दृष्टि से धनी है। यहाँ की अधिकांश जनसंख्या कृषि करने, जंगल काटने, मत्स्य उद्योग तथा लौह उद्योग में संलग्न है।

स्रोत: Wikipedia

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