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Doha vs. Mosul -
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दोहा अर्द्धसम मात्रिक छंद है। यह दो पंक्ति का होता है इसमें चार चरण माने जाते हैं | इसके विषम चरणों (प्रथम तथा तृतीय) में १३-१३ मात्राएँ और सम चरणों (द्वितीय तथा चतुर्थ) में ११-११ मात्राएँ होती हैं। विषम चरणों के आदि में प्राय: जगण (।ऽ।) टालते है, लेकिन इस की आवश्यकता नहीं है। 'बड़ा हुआ तो' पंक्ति का आरम्भ ज-गण से ही होता है। सम चरणों के अंत में एक गुरु और एक लघु मात्रा का होना आवश्यक होता है अर्थात अन्त में लघु होता है। उदाहरण- बड़ा हुआ तो क्या हुआ, जैसे पेड़ खजूर। पंथी को छाया नहीं, फल लागैं अति दूर।। मुरली वाले मोहना, मुरली नेक बजाय। तेरी मुरली मन हरे, घर अँगना न सुहाय॥हेमचन्द्र के मतानुसार दोहा-छन्द के लक्षण हैं - समे द्वादश ओजे चतुर्दश दोहक: समपाद के अन्तिम स्थान पर स्थित लघु वर्ण को हेमचन्द्र गुरु-वर्ण का मापन देता है.



'अत्र समपादान्ते गुरुद्वयमित्याम्नाय:' यह सूत्र विषद किया है। मम तावन्मतमेतदिह - किमपि यदस्ति तदस्तु रमणीभ्यो रमणीयतरमन्यत् किमपि न अस्तु

स्रोत: Wikipedia

Mosul

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��ोसुल (अरबी: الموصل‎, अल-मोसुल; अंग्रेज़ी: Mosul) उत्तरी इराक़ का एक शहर है और उस देश के नीनवा प्रान्त की राजधानी है। बग़दाद से ४०० किमी पश्चिमोत्तर में स्थित यह शहर दजला नदी के किनारे बसा हुआ है। नदी की पश्चिमी तरफ़ प्राचीन असीरियाई साम्राज्य के नीनवा शहर के खँडहर मौजूद हैं। आधुनिक मोसुल शहर नदी के दोनों तरफ़ विस्तृत है और पाँच पुलों से जुड़ा हुआ है। आबादी के हिसाब से बग़दाद के बाद यह इराक़ का दूसरा सबसे बड़ा नगर है। मोसुल में अरब, कुर्द, आशूरी (असीरियाई) और इराक़ी तुर्कमान लोगों का मिश्रण रहता है। अरबी भाषा में मोसुल के निवासियों को 'मसलावी' कहा जाता है। अंग्रेज़ी में मलमल के कपड़े को 'मसलिन' (muslin) कहा जाता है, जिसका नाम मोसुल पर पड़ा है।

स्रोत: Wikipedia

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