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लीबिया

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��ूसरा लीबिया गृहयुद्ध, लीबिया के राज्यक्षेत्र में नियंत्रण को लेकर कई प्रतिद्वंद्वी समूहों के बीच चल रहा संघर्ष है। यह संघर्ष, 2014 में लोकतांत्रिक तरीके से निर्वाचित "लीबिया सरकार" जिसे "टोब्रुक सरकार" के रूप से भी जाना जाता है, और राजधानी त्रिपोली से नियंत्रित प्रतिद्वंद्वी जनरल नेशनल कांग्रेस (जीएनसी), सरकार जिसे "राष्ट्रीय मुक्ति सरकार" भी कहा जाता है, के बीच चल रही हैं। दिसंबर 2015 में लीबिया के राजनीतिक समझौते (एलपीए) पर हस्ताक्षर किए गए। यह एलपीए समझौता दीर्घावधि से चले आ रहे प्रतिद्वंद्वी समूहों को राष्ट्रीय समझौते की सरकार के रूप में एकजुट करने के लिए लंबी वार्ता का परिणाम था। हालांकि राष्ट्रीय समझौते की सरकार अब भी कार्य कर रही है, किन्तु दोनों पक्षों के लिए स्वीकार्य विशिष्ट विवरण अभी भी स्पष्ट नहीं है। प्रतिनिधि परिषद (सीओडी) जिसे प्रतिनिधि सभा के नाम से भी जानते हैं, पूर्वी लीबिया में सशक्त रूप से है, तथा इसकी वफादारी जनरल खलीफा हफ्तार के नेतृत्व में लीबिया नेशनल आर्मी के प्रति है मिस्र और संयुक्त अरब अमीरात ने भी हवाई हमलों के द्वारा इनका समर्थन किया है। जीएनसी, जोकि पश्चिमी लीबिया में आधारित है जिसे "लीबिया डॉन", कतर, सूडान और तुर्की, के द्वारा समर्थन प्राप्त हैं,शुरू में 2014 के चुनाव के परिणामों को स्वीकार कर लिया था, लेकिन बाद में ख़ारिज कर दिया जिसका कारण सुप्रीम संवैधानिक कोर्ट के लीबिया के चुनाव सम्बन्धित एक संशोधन को निरस्त कर उन्हें खारिज करने का आदेश था। संवैधानिक संशोधनों में विवाद के कारण, प्रतिनिधि सभा (HoR), ने त्रिपोली में जीएनसी से कार्यालय लेने से इनकार कर दिया, जोकि मिसराता के पश्चिमी तटीय शहर के शक्तिशाली लड़ाकों द्वारा नियंत्रित किया जा रहा था। इसके बजाय, HoR टोब्रुक में अपनी संसद की स्थापना की। इन के अलावा, यहाँकई छोटे प्रतिद्वंद्वी समूह भी हैं: अंसार अल-शरिया (लीबिया) के नेतृत्व में बेनगाजी क्रांतिकारियों की इस्लामी शूरा काउंसिल, जिन्हें जीएनसी का समर्थन प्राप्त है; इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक और लेवांत (आईएसआईएल); साथ ही टुअरेग घाट के लड़ाके जोकि दक्षिण पश्चिम में रेगिस्तान क्षेत्रों को नियंत्रित करते हैं; मिसराता जिला में उपस्थित स्थानीय बल, जोकि बानी वालिद और तावरगा शहर को नियंत्रित करते हैं। इनके आलावा कई छोटे सशस्त्र समूहों है जोकि अलग-अलग पक्ष बदलते रहते हैं। हाल के महीनों में कई राजनीतिक घटनाक्रम किया गया है। संयुक्त राष्ट्र ने दिसंबर 2015 और 31 मार्च 2016 में संघर्ष विराम की मध्यस्थता की, संयुक्त राष्ट्र समर्थित नए "एकता सरकार" के नेता त्रिपोली में पहुंचे। 5 अप्रैल को प्रतिद्वंद्वी जीएनसी सरकार ने घोषणा की है कि वह सरकार संचालन का कार्य निलंबित कर नई एकता सरकार को सत्ता सौंप देगा, जिसे आधिकारिक तौर पर "राष्ट्रीय समझौते की सरकार" का नाम दिया गया, हालांकि यह अभी तक स्पष्ट नहीं हैं कि नई व्यवस्था सफल होगी। 22 अगस्त तक, एकता सरकार को अभी भी प्रतिनिधि सभा की मंजूरी प्राप्त नहीं हैं जिसके अधिकांश संसद सदस्यो ने विश्वास प्रस्ताव में इसके खिलाफ मतदान किया था।

स्रोत: Wikipedia